Facts About samadhan mantra Revealed

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यही हमारी सबसे बड़ी गलती है की हम जीवन का मतलब समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं.

प्रार्थना विश्वव्यापी प्रार्थना मण्डल

जब आप गहरे ध्यान की शान्ति में बैठते हैं, तो आनन्द भीतर से प्रस्फुटित होता है, जो किसी बाह्य प्रोत्साहन से जागृत नहीं होता। ध्यान का आनन्द अभिभूत करने वाला होता है। जिन लोगों ने सच्चे ध्यान की शान्ति में प्रवेश नहीं किया है वे नहीं जानते कि वास्तविक आनन्द क्या है।

[297] The Strongest Purpose is provided to your participant whose goal-scoring shot had the best normal velocity with the time it absolutely was struck to the time it crossed the purpose line, and essentially the most Unbelievable Comeback award is designed for the team that, based upon calculations done by Oracle Corporation, goes powering and overcomes a deficit to acquire their respective match.[298]

अतः, इस कारण ईश्वर की खोज करना उचित ही है। वे सभी भक्त जो सच्चाई से उन्हें खोजते हैं वे उन्हें अवश्य प्राप्त करेंगे। जो ईश्वर को प्रेम करना चाहते हैं और उनके साम्राज्य में प्रवेश करने की लालसा रखते हैं, और जो सच्चे हृदय से उन्हें जानना चाहते हैं, वे उन्हें पा लेंगे। दिन और रात उनके लिए आपके मन में इच्छा सदा बढ़ती रहनी चाहिए। वे आपको दिए गए वचन को अनन्तता तक निभा कर आपके प्रेम का प्रत्युत्तर देंगे, और आप अन्तहीन आनन्द और सुख को जान जाएंगे। सब प्रकाश है, सब आनन्द है, सब शांति है, सब प्रेम है। वे ही सब कुछ हैं।

महिलाओ के लिए शुरू की गयी सरकारी योजनाएं

तो क्या more info जीवन का ये खेल अनवरत चलता ही रहता है, एक जन्म के बाद दूसरा, फिर तीसरा, फिर चौथा?

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हमारे साधू संतों और ग्रंथों के मुताबिक केवल परमात्मा ही आपको इस जीवन – मरण के चक्कर से छुटकारा दिला सकते हैं. मतलब आपको पूरी तरह से मुक्ति दिला सकते हैं.

Premier League chief govt Richard Masters experienced previously spoken out from the implementation of an impartial regulator, declaring in Could 2021, "I do not imagine that the impartial regulator is the answer for the query. I would defend the Premier League's purpose as regulator of its golf equipment in the last thirty many years."[78]

भगवान् देखना चाहते हैं की जिस इंसान को मैने हर मामले में अन्य प्राणियों से तेज बनाया है, वो अपने जीवनकाल में क्या क्या करता है.

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फिर हमने इंसान “दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कृति” बनकर क्या किया? पूरा जीवन हमने काम, क्रोध , लोभ, नशा, इर्ष्या और अय्याशी के चक्कर में फंसकर गँवा दिया.

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